प्रोग्रामिंग लैंग्वेज किसे कहते हैं?

What is Programming Language in Hindi

प्रायः हम Programming Language के बारे में सुनते रहते हैं आइये हम जानते हैं कि प्रोग्रामिंग भाषा क्या हैं ? What is programming language?

Programming Language कंप्यूटर की एक भाषा है, जिसे कंप्यूटर के विद्वानों ने एप्लीकेशन को विकसित करने के लिए डिजाईन किया है। पारम्परिक भाषा की तरह ही प्रोग्रामिंग भाषाओ के अपने व्याकरण होते है।

Programming Language वह माध्यम जिसके द्वारा Computer और यूजर के बीच संवाद (Communicate) किया जाता है उसे Computer की भाषा में Programming Language या Computer Language कहते हैं।

कंप्यूटर लैंग्वेज के प्रकार – Types of Programming Language

Computer Language को दो मुख्य श्रेणी में रखा गया है-

  • लो-लेवल लैंग्वेज (Low Level Language)
  • हाई-लेवल लैंग्वेज (High Level Language)

लो-लेवल लैंग्वेज Low Level Language


वे Languages जो अपने कोड को Machine Language में बदलने के लिए किसी भी Translator को सम्मिलित नही करते हैं उसे लो-लेवल लैंग्वेज (Low Level Language) कहते हैं।

लो-लेवल लैंग्वेज (Low Level Language) Computer Hardware से सीधे सम्बन्धित होते हैं इसलिए इनका execution हाई-लेवल लैंग्वेज (High Level Language) से तेज होता है।

लो-लेवल लैंग्वेज (Low Level Language) के कोड को किसी भी तरह से अनुवाद करने की आवश्यकता नही होती है।
Low Level Language का उपयोग प्रोग्रामिंग में करना बहुत कठिन होता हैं इसका उपयोग करने के लिए Computer Hardware स्ट्रक्चर के विषय में अच्छी जानकारी होनी चाहिए यह बहुत ही समय लेता है और इनमे त्रुटि होने की सम्भावना भी अधिक होती है।

Types of Low Level Language लो-लेवल लैंग्वेज के प्रकार

लो-लेवल लैंग्वेज (Low Level Language) दो प्रकार के होते हैं-

१. मशीन लैंग्वेज ( Machine Language )

२. असेंबली लैंग्वेज ( Assembly Language )

मशीन लैंग्वेज ( Machine Language )

जैसे की आप जानते हैं Computer System सिर्फ डिजिटल सिग्नल को समझता है, जो कि बाइनरी 1 या 0 है । अतः Computer को निर्देश सिर्फ बाइनरी कोड 0 या 1 में दिए जाते हैं बाइनरी कोड में दिए गये निर्देशों को मशीन लैंग्वेज (Machine Language) कहते हैं।

मशीन लैंग्वेज (Machine Language) मशीनो के लिए सरल और आसान होता हैं और प्रोग्रामर के लिए कठिन होता है।

असेंबली लैंग्वेज ( Assembly Language )

असेंबली लैंग्वेज (Assembly Language) में निर्देश (Instruction) अंग्रेजी के शब्दों के रूप में दिए जाते हैं जैसे – ADD, SUB आदि, इसे “mnemonic code” कहा जाता है मशीन लैंग्वेज (Machine Language) की तुलना में असेंबली लैंग्वेज (Assembly Language) को समझना सरल और आसान होता है।

जैसे कि हम जानते हैं Computer सिर्फ बाइनरी कोड को समझता है, इसीलिए प्रोग्राम जो असेंबली लैंग्वेज (Assembly Language) में लिखा होता है, उसे मशीन लैंग्वेज (Machine Language) में ट्रांसलेट (Translate) करना होता है।

जो ट्रांसलेटर (Translator) असेंबली लैंग्वेज (Assembly Language) को मशीन लैंग्वेज (Machine Language) में बदलता है उसे असेम्बलर (Assembler) कहते है।

हाई लेवल लैंग्वेज (High Level Programming Language)

हाई लेवल लैंग्वेज (High Level Programming Language) को पोर्टेबिलिटी को ध्यान में रखकर बनाया गया है, यह मशीन भाषा पर निर्भर नही है। High Level Language अंग्रेजी भाषा के कोड की तरह होती है इसलिए इस कोड को समझना सरल और आसान होता है इसके लिए एक लैंग्वेज ट्रांसलेटर (Language Translator) की आवश्यकता होती है।

हाई लेवल लैंग्वेज (High Level Language) प्रोग्राम को, मशीन कोड में ट्रांसलेट करने वाले ट्रांसलेटर (Translator) को कम्पाइलर या इंटरप्रेटर कहते हैं।

Third Generation की लोकप्रिय भाषाओ में बेसिक (Beginner’s All Purpose Symbolic Instruction Code) पास्कल, कोबोल, C और C++ आदि सम्मिलित हैं।

Third Generation Programming Language


बेसिक (BASIC)

बेसिक (BASIC) शब्द बिगिनर्स ऑल पर्पस सिम्बोलिक इंस्ट्रक्शन कोड (Beginner’s All Purpose Symbolic Instruction Code) का संछिप्त रूप है।

यह माइक्रोकंप्यूटर में बहुत अधिक उपयोग किया जाने वाला हाई लेवल लैंग्वेज (High Level Language) है। इसे 1964 में अमेरिका के डार्ट माउथ कॉलेज में डॉ. जॉन केमेनी और थॉमस कुर्ट्ज (Dr. John Kemeny and Thomas Kurtz) ने विकसित किया था।

फॉरट्रान (FORTRAN)

फॉरट्रान (FORTRAN) शब्द फ़ॉर्मूला ट्रांसलेशन (FORmula TRANslation) का संछिप्त रूप है। इसे 1957 में जॉन बेकस (John Backus) ने विकसित किया था। यह लैंग्वेज वैज्ञानिक और गणितीय समस्याओं के समाधान के लिए हाई लेवल लैंग्वेज (High Level Language) है।


कोबोल (COBOL)

कोबोल (COBOL) शब्द कॉमन बिजनेस ओरिएंटेड लैंग्वेज (Common Business Oriented Language) का संछिप्त रूप है।

पास्कल (PASCAL)

यह ALGOL60 से जनित भाषा है इस भाषा का नाम महान गणितज्ञ ब्लेज पास्कल (Blaise Pascal) के नाम पर दिया गया है। इसे 1970 में निक्लौस वर्थ (Niklaus Wirth) ने विकसित किया था। इसका विकास सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) को तैयार करने के उद्देश्य से किया गया था यह भाषा एक ब्लाक स्ट्रक्चर्ड भाषा (Block Structured Language) है।

C

सी “C“ भाषा का विकास 1972 में AT & T अमेरिका के बेल लेबोरेटरी (Bell Laboratories) में हुआ था। इसे डेनिस रिची (Dennis Ritchie) ने विकसित किया था। इसका उपयोग व्यापक रूप से सॉफ्टवेयर विकास में हो रहा है।

C++

C++ लैंग्वेज C लैंग्वेज का ही अगला संस्करण है इसे जार्ने स्ट्रोस्ट्रप ने 1980 बेल लेबोरेटरी (Bell Laboratories) में विकसित किया था।

एक जैसी समस्याओ को बार-बार हल करने की Programmers की परेशानी को दूर करने के लिए C++ लैंग्वेज का विकास किया गया।

जावा (JAVA)

जावा भाषा का विकास सन माइक्रो सिस्टम (Sun Micro System) ने 1990 के दशक में किया था। इस भाषा का मुख्य रूप से वेब प्रोग्रामिंग में वेब पेज के लिए एप्लेटस (Applets) बनाने में किया जाता है।

Fourth Generation Programming Language

What are fourth generation programming languages ? What are their advantages or disadvantages?

विजुअल स्टूडियो (Visual Studio)

विजुअल स्टूडियो में विजुअल बेसिक, विजुअल C++, तथा विजुअल फॉक्स प्रो साथ आते है जो उस समय में उपयोग होता था। जब Textual Interface Visual Environment के साथ आता था। अब सभी कुछ Integrated Development Environment में पूरा किया जाता है अब समय के साथ कमांड्स को मेनू एवं आइकॉन से बदल दिया गया है।

विजुअल स्टूडियो.नेट (Visual Studio.NET)

डॉट नेट तकनीक वर्ल्ड वाइड वेब का परिणाम है विजुअल स्टूडियो.नेट में पैकेज में C++, C#, J#, VB.NET, ASP.NET होते हैं। इसका विकास मुख्य रूप से ऑनलाइन एप्लीकेशन Develop करने के लिए हुआ था इसका उपयोग आज ऑफलाइन एप्लीकेशन या परम्परागत सॉफ्टवेयर के विकास में भी समान रूप से उपयोगी है।

सन स्टूडियो वन (Sun Studio One)

यह जावा के लिए एक विसुअल एडिटर है, जहाँ विजुअल वातावरण में Java Application तथा Applets को In-Built Features का उपयोग करते हुए विकसित किया जा सकता है।

Programming Language के Advantages और Disadvantages

Advantages of Fourth Generation Programming Language

• Fourth Generation की Language को सीखना सरल है इसमें सॉफ्टवेयर विकास करना आसान होता है।
• Fourth Generation की Language में Textual Interface के साथ-साथ Graphical Interface भी होते हैं।
• यह आसानी से उपलब्ध हो जाती है तथा यह प्रोग्रामिंग में कम जगह लेती है।

Disadvantages of Fourth Generation Programming Language

• Fourth Generation की Language, High Configuration वाले Computer पर ही रन हो सकती है।
• Fourth Generation की Programming Languages की संख्या बहुत ज्यादा है, जिससे यह निर्णय ले पाना बहुत ही कठिन हो जाता है कि किसका उपयोग किया जाये व् किसे छोड़ा जाये।


यहाँ आपने जाना What is programming language? प्रोग्रामिंग लैंग्वेज क्या है ? और Programming Language के प्रकार के बारे में उम्मीद करता हूँ आपको यह पोस्ट पसंद आया होगा


यह भी पढ़े :

 


Leave a Comment